श्री गुरु दत्तात्रेय मंदिर
Sacred Temple on Top of Holy Mountain

श्री गुरु दत्तात्रेय संस्थान गिरनार पर 365 दिन अविरत सेवारत कमंडल कुंड अन्नक्षेत्र में यदि आप अन्न दान करना चाहते है, तो यहाँ उपयोग में आने वाले अन्न धान्य की सूची।

मंदिर नित्य दर्शन

श्री गुरु दत्तात्रेय संस्थान,गिरनार

श्री गुरु दत्तात्रेय संस्थान,गिरनार

भारत के गुजरात प्रदेश में सौराष्ट्र प्रांत के जूनागढ़ शहर से लगभग 2 कि.मी. की दूरी पर एक भव्य और दिव्य पर्वत “गिरनार” विद्यमान है। गिरनार पर्वत की पाँचवी चोटी को गुरुशिखर के नाम से पहचाना जाता है, यहा भगवान दत्तात्रेयजी की चरण पादुका है,जिसके दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश विदेश से आकर के गिरनार का दर्शन करते है। इस गिरिनारायण यानी गिरनार ने, भगवान शंकर के पास वरदान माँगा था की मेरे इस पर्वत पर 33 कोटि देवताओं, सिद्धों और संतो का निवास होना चाहिए । भगवान शंकर ने इनकी मनोकामना पूर्ण करते हुए उन्हें वरदान दिया। इसीलिए गिरनार परिक्रमा, दत्त पादुका दर्शन, दत्त धूना दर्शन एवं अन्नक्षेत्र का प्रसाद लेना उसे अलौकिक पुण्य कर्म माना जाता है।

श्री गुरु दत्तात्रेय संस्थान,गिरनार

श्री गुरु दत्तात्रेय संस्थान,गिरनार

इसी गिरनार पर माता पिता की आज्ञा अनुसार भगवान दत्तात्रेयजी ने 12,000 वर्षो तक तपस्या की। इस कठोर तपश्चर्या के पश्चात जिस जगह पर आज स्वयंभू चरण पादुका है उस स्थान पर वह आकार से निराकार हुए, सगुण से निर्गुण हुए । भगवान दत्तात्रेयजी जब गिरनार पर तपश्चर्या कर रहे थे तब एक भीषण अकाल पड़ा और सामान्य जीव जन्तुओ की पीड़ा देख कर दत्तमाता सती अनसूया ने दत्त भगवान को इस अकाल का निराकरण करने को कहा, तब भगवान दत्तात्रेयजी ने अपनी तपश्चर्या की अवस्था से जागृत होकर अपने हाथ के कमंडल को पत्थर पे मारा और गंगाजी को प्रगट किया, वही स्थान यानी “कमंडल कुंड”

गिरनार परिक्रमा

गिरनार परिक्रमा

इस जगह पर दत्तात्रेयजी ने अपने हाथों से अग्नि प्रज्वल्लित की, जिसे “दत्ताग्नि” कहा जाता है, उस स्थान को भगवान दत्तात्रयजी का अक्षय निवास स्थान एवं दत्तात्रेय धूना के नाम से जाना जाता है। भगवान दत्तात्रेयजी के हाथो से प्रज्वल्लित हुआ अग्नि आज भी गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत वैसे ही जीवंत है। आज भी हर सोमवार सुबह 9 बजे इस धुने की ऊपर की भस्म हटाकर लगभग 5 मण पीपल की लकड़ियाँ रखी जाती है और किसी बाह्य साधनों का उपयोग किए बगैर (केरोसिन, माचिस एत्यादि ..) अग्नि स्वयं से प्रज्वलित होता है, यह पर्व रोमांच, आश्चर्य और भाव विभोर करने वाला होता है।

गिरनारी अन्नक्षेत्र

गिरनारी अन्नक्षेत्र

श्री गुरु दत्तात्रेय संस्थान,गिरनार में गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत भगवान दत्तात्रेयजी की तपस्या के काल से अन्नक्षेत्र चलाया जाता है, यह अन्नक्षेत्र पृथ्वी पर सब से प्राचीन है ऐसी मान्यता है । गिरनार के 10,000 सीढ़ियों पर स्थित भगवान दत्तात्रेयजी के "अक्षय निवास स्थान", आनेवाले लाखो दत्त भक्तों के लिए अन्नक्षेत्र में कठिन परिश्रम से भोजन प्रसाद की व्यवस्था करना किसी चमत्कार से कम नहीं। इस अन्नक्षेत्र के उपयोग में लिया जाने वाला अन्न - धान्य ,धुने के लिए पीपल की लकड़ियाँ , गैस सिलिंडर इत्यादि सामान्य मजदूरो के द्वारा रोजाना 8-10 घंटे का सफर तय करके कठिन परिश्रम से उपर पहुँचाया जाता है, क्योंकि गिरनार मे सामान चढ़ाने के लिए और कोई दूसरी सुविधा नहीं है। हर वर्ष प्रकृति के कई प्रकोप होते हुए भी यह सेवा अविरत चल रही है। आप भी सहयोग दे, जुड़िए और पुण्य का लाभ ले ।

गिरनारी गौ शाला

गिरनारी गौ शाला

गिरनार पर्वत के दाहिने हाथ की तरफ से किए जाने वाली यानि “गिरनार परिक्रमा” यह परिक्रमा कार्तिकी एकादशी से कार्तिकी पूर्णिमा के पाँच दिनों मे इस परिक्रमा को किया जाता है । परिक्रमा का मार्ग जंगल से गुजरता है, कई जंगली प्राणीयों का वास होते हुए भी दत्त कृपा से आज तक लाखों भक्तों ने निर्विघ्न यात्रा पूर्ण की है। यह यात्रा दत्त चरण पादुका,दत्त धुना तथा अन्नक्षेत्र के प्रसाद ग्रहण करके ही पूर्ण होती है। भगवान दत्तात्रेयजी के समय से जो गुरु -शिष्य परंपरा चल रही है तब से लेकर अब तक सेंकड़ो दत्त पीठाधीशो ने सेवा कार्य किया है, और वर्तमान मे दत्तात्रेय पीठ के पीठाधीश श्री महेश गिरी बापू है जिनकी देखरेख मे इस संस्थान का संचालन हो रहा है।

दत्त धुना अन्नक्षेत्र

दत्त धुना अन्नक्षेत्र

गिरनार की 10,000 सीढ़ी की चढ़ाई या रोप - वे मे जाने के लिए गिरनार की तलेटी मे यात्रीयों को रुकना होता है,इसी गिरनार की तलेटी मे यात्रीयों की सुविधा के लिए श्री गुरुदत्तात्रेय संस्थान की ओर से निशुल्क “गिरनारी अन्नक्षेत्र” चलाया जा रहा है यहाँ रोजाना हजारों यात्री भोजन प्रसाद लेते है। इस स्थान पर दत्त भक्तों की सुविधा हेतु 100 कमरों की दत्त निवास के बिल्डिंग की संकल्पना की जा रही है । तो आप सब से अनुरोध है कि सेवा कार्य में सहयोग दे ।

|| अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त ||

Annadaan Seva Rashi

Mahabhishek Daan Rashi

Pujan Daan Rashi

Gaushala

Water Service

Bhawan Nirmaan

|| दत्ता तुजिच सत्ता ||

आध्यात्मिक अनुभूति ....

२०२४ की संपूर्ण वर्ष की पूर्णिमा ,मंदिर पूर्ण रात्री दर्शन हेतु खुला रहेगा

दत्तात्रेय संस्थान से जुडने के लिए ....

कमंडल कुंड आरती ....